शनिवार, 30 अप्रैल 2011

ग़ज़ल से प्यार करता हूँ .....

ग़ज़ल की बात करता हूँ ,ग़ज़ल से प्यार करता हूँ
मैं इसका हूँ ये मेरी है ,यही इज़हार करता हूँ....!!!
कोई पागल समझता है ,कोई दीवाना कह देता ...
मगर मैं हूँ की वो ही गलतियाँ हर बार करता हूँ!!
मुझे है इश्क रातों से, मैं दिन की भीड़ से डरता
मेरी दुनिया है सपनों से मैं ये स्वीकार करता हूँ .
ग़ज़ल की बात करता हूँ ......................................