रविवार, 24 जून 2012

जीवन क्या है.....................!!!!!!!!!!!

जीवन क्या  है......??

सदियों से अपूर्ण...
और अनुत्तरित प्रश्न है |
मगर ..........
एक बार फिर इस का उत्तर..
ढूँढने का मेरा मन है | 

शैशवकाल से वृद्ध होने तक,
जीवन मिलने से - इसको खोने तक,
अनेक अनुभव,, कई प्रशिक्षण लेने हैं |
कुछ क़र्ज़ लेने भी हैं
और कुछ वापस देने हैं |

जीवन की बगिया में,
सपनों के रंग-बिरंगे...
फूल भी खिलते हैं |
कभी बहारों के मौसम,
तो कभी पतझर भी मिलते हैं |

इस यात्रा के मध्यान तक आते आते ...
सर पर कड़ी धूप और,
पैरों में छाले भी आते हैं |
मगर फिर भी कुछ लोग मुस्कराते हुए...
आगे बढते जाते हैं |

काफिला यूँ ही चलता रहता है
कुछ साथी आगे निकल जाते हैं ...
कुछ पीछे छूट जाते हैं और ,
कुछ खो जाते हैं |
कुछ पास तो होते हैं,
मगर अजनबी हो जाते हैं...| 

इस अनवरत यात्रा में,
चलते चलते शरीर रुपी ये वाहन,
एक दिन थक कर रुक जाता है |
और आत्मा का पंछी, इसे छोड़ कर
कहीं दूर उड़ जाता है |

अंत में.....
मुझे लगता है कि .....
होश संभालने से लेकर,
यहाँ से जाने तक,
अगर हर हाल में, हर पल चेहरे पर मुस्कान रहे..
खुद खुश रहकर मुस्कानें बांटें और...
भरपूर जीने का अरमान रहे......
तो मुश्किल सा लगने वाला...
ये सफर भी बहुत आसान रहे .......!!!!!
.....बहुत आसान रहे  .........!!!!!!