सोमवार, 19 सितंबर 2011
रविवार, 18 सितंबर 2011
कहीं रुसवा न हो जाऊं,,, तेरी तस्वीर को लेकर|
ज़माना रश्क करता है,,, मेरी तहरीर को लेकर,
कहीं रुसवा न हो जाऊं,,, तेरी तस्वीर को लेकर|
मेरे जब पाँव धरती पर,, फलक पर हाथ होते हैं,
मुझे तब फख्र होता है,, मेरी तकदीर को लेकर|
कई दिन से बनाने की,,, बहुत की कोशिशें मैंने,
परेशां था बहुत दिन से,, तेरी तस्वीर को लेकर|
तेरी मुस्कान,,,,मेरी जिंदगी का ख्वाब होती है ,
मुझे कुछ शक नहीं इस ख्वाब की ताबीर को लेकर
कहीं रुसवा न हो जाऊं,,, तेरी तस्वीर को लेकर|
मेरे जब पाँव धरती पर,, फलक पर हाथ होते हैं,
मुझे तब फख्र होता है,, मेरी तकदीर को लेकर|
कई दिन से बनाने की,,, बहुत की कोशिशें मैंने,
परेशां था बहुत दिन से,, तेरी तस्वीर को लेकर|
तेरी मुस्कान,,,,मेरी जिंदगी का ख्वाब होती है ,
मुझे कुछ शक नहीं इस ख्वाब की ताबीर को लेकर
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