गुरुवार, 2 अगस्त 2012


एक भावपूर्ण अहसास का नाम है राखी....!!

हाँ, उस भोले बचपन की
संजोई हुई कुछ मीठी यादों के अनमोल अहसास....!!
तब मुखर स्नेह और प्यार के लिए ,,
महीनों की प्रतीक्षा के बाद....
ये दिन आता था,
जो हमको अन्दर तक स्नेहमय कर जाता था |

तब कहाँ सोचते थे...
कि एक दिन ऐसा भी आएगा ...
कि राखी का दिन की याद मेरे ऑफिस का
कर्मचारी मुझे दिलाएगा ........

घर के मंदिर में भगवानों को राखी चढा कर,
फिर स्वंय राखी बंधवाना,,
कितना भावपूर्ण होता था...
बहन के हाथ से वो मिठाई खाना..!!

देखते ही देखते आज.....
सब कितना कुछ बदल गया है...!!
इस आधुनिकता से हमको जो कुछ मिला है,
उससे कहीं अधिक हमारे हाथ से निकल गया है ...!!