मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

..तुम्हारे खत............!!

तुम्हारे खत..........!!!
वो फूल-पत्तियों के बॉर्डर वाले कागज पर
तुम्हारी नाज़ुक उँगलियों से,
लिखे हुए ....
तुम्हारे खत.........!!
जाने कौन सी तसव्वुर की वादियों में
ले गये मुझे,
क्या पता, किस रूहानी खुशबू
का अजब तोहफा दे गये मुझे,
तुम्हारे खत.........!!
कितने तूफ़ान, कितने ख्वाब
कितने अरमान बिखरते रहे,
मगर फिर भी आज तक मेरी रूह को,
रोशन करते रहे, हाँ...
तुम्हारे खत..........!!
तनहाइयों में इनके साथ,
मैंने बातें की हैं..........
तुम्हारा वही अक्स ढूंढते
कई रातें की हैं ,
ज़माने के लिए शायद..
ये फकत कहानी और किस्सा हैं.....
मगर मेरे लिए तो जिंदगी का,
सबसे अहम हिस्सा हैं....
तुम्हारे खत...............!!!!

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