शुक्रवार, 30 मार्च 2012

मेरे कर्फ्यू के शहर का, एक मंज़र दिल में है.......!!!

एक सहरा है नज़र में, और समंदर दिल में है,
मुस्कराहट है लबों पर और खंजर दिल में है.!

हर किसी दर पे है सांकल और खिड़की बंद है
मेरे कर्फ्यू के शहर का, एक मंज़र दिल में है.!

नाउम्मीदी बन के मुखबिर बेबसी से जा मिली
बेकरारी का अनोखा सा,, बवंडर दिल में है....!

आईने को,, तोड़ने की,, साजिशें देखो ज़रा...
हाथ में हैं फूल कितने और पत्थर दिल में हैं.!

वक्त ने बेघर किया तो भी हमें परवाह क्या..
चाँद से भी खूबसूरत खुशनुमा घर दिल में है.!

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