सोमवार, 31 दिसंबर 2012
गुरुवार, 2 अगस्त 2012
एक भावपूर्ण अहसास का नाम है राखी....!!
हाँ, उस भोले बचपन की
संजोई हुई कुछ मीठी यादों के अनमोल अहसास....!!
हाँ, उस भोले बचपन की
संजोई हुई कुछ मीठी यादों के अनमोल अहसास....!!
तब मुखर स्नेह और प्यार के लिए ,,
महीनों की प्रतीक्षा के बाद....
ये दिन आता था,
जो हमको अन्दर तक स्नेहमय कर जाता था |
तब कहाँ सोचते थे...
कि एक दिन ऐसा भी आएगा ...
कि राखी का दिन की याद मेरे ऑफिस का
कर्मचारी मुझे दिलाएगा ........
घर के मंदिर में भगवानों को राखी चढा कर,
फिर स्वंय राखी बंधवाना,,
कितना भावपूर्ण होता था...
बहन के हाथ से वो मिठाई खाना..!!
देखते ही देखते आज.....
सब कितना कुछ बदल गया है...!!
इस आधुनिकता से हमको जो कुछ मिला है,
उससे कहीं अधिक हमारे हाथ से निकल गया है ...!!रविवार, 24 जून 2012
जीवन क्या है.....................!!!!!!!!!!!
जीवन क्या है......??
सदियों से अपूर्ण...
और अनुत्तरित प्रश्न है |
मगर ..........
एक बार फिर इस का उत्तर..
ढूँढने का मेरा मन है |
शैशवकाल से वृद्ध होने तक,
जीवन मिलने से - इसको खोने तक,
अनेक अनुभव,, कई प्रशिक्षण लेने हैं |
कुछ क़र्ज़ लेने भी हैं
और कुछ वापस देने हैं |
जीवन की बगिया में,
सपनों के रंग-बिरंगे...
फूल भी खिलते हैं |
कभी बहारों के मौसम,
तो कभी पतझर भी मिलते हैं |
इस यात्रा के मध्यान तक आते आते ...
सर पर कड़ी धूप और,
पैरों में छाले भी आते हैं |
मगर फिर भी कुछ लोग मुस्कराते हुए...
आगे बढते जाते हैं |
काफिला यूँ ही चलता रहता है
कुछ साथी आगे निकल जाते हैं ...
कुछ पीछे छूट जाते हैं और ,
कुछ खो जाते हैं |
कुछ पास तो होते हैं,
मगर अजनबी हो जाते हैं...|
इस अनवरत यात्रा में,
चलते चलते शरीर रुपी ये वाहन,
एक दिन थक कर रुक जाता है |
और आत्मा का पंछी, इसे छोड़ कर
कहीं दूर उड़ जाता है |
अंत में.....
मुझे लगता है कि .....
होश संभालने से लेकर,
यहाँ से जाने तक,
अगर हर हाल में, हर पल चेहरे पर मुस्कान रहे..
खुद खुश रहकर मुस्कानें बांटें और...
भरपूर जीने का अरमान रहे......
तो मुश्किल सा लगने वाला...
ये सफर भी बहुत आसान रहे .......!!!!!
.....बहुत आसान रहे .........!!!!!!
सदियों से अपूर्ण...
और अनुत्तरित प्रश्न है |
मगर ..........
एक बार फिर इस का उत्तर..
ढूँढने का मेरा मन है |
शैशवकाल से वृद्ध होने तक,
जीवन मिलने से - इसको खोने तक,
अनेक अनुभव,, कई प्रशिक्षण लेने हैं |
कुछ क़र्ज़ लेने भी हैं
और कुछ वापस देने हैं |
जीवन की बगिया में,
सपनों के रंग-बिरंगे...
फूल भी खिलते हैं |
कभी बहारों के मौसम,
तो कभी पतझर भी मिलते हैं |
इस यात्रा के मध्यान तक आते आते ...
सर पर कड़ी धूप और,
पैरों में छाले भी आते हैं |
मगर फिर भी कुछ लोग मुस्कराते हुए...
आगे बढते जाते हैं |
काफिला यूँ ही चलता रहता है
कुछ साथी आगे निकल जाते हैं ...
कुछ पीछे छूट जाते हैं और ,
कुछ खो जाते हैं |
कुछ पास तो होते हैं,
मगर अजनबी हो जाते हैं...|
इस अनवरत यात्रा में,
चलते चलते शरीर रुपी ये वाहन,
एक दिन थक कर रुक जाता है |
और आत्मा का पंछी, इसे छोड़ कर
कहीं दूर उड़ जाता है |
अंत में.....
मुझे लगता है कि .....
होश संभालने से लेकर,
यहाँ से जाने तक,
अगर हर हाल में, हर पल चेहरे पर मुस्कान रहे..
खुद खुश रहकर मुस्कानें बांटें और...
भरपूर जीने का अरमान रहे......
तो मुश्किल सा लगने वाला...
ये सफर भी बहुत आसान रहे .......!!!!!
.....बहुत आसान रहे .........!!!!!!
शुक्रवार, 30 मार्च 2012
मेरे कर्फ्यू के शहर का, एक मंज़र दिल में है.......!!!
एक सहरा है नज़र में, और समंदर दिल में है,
मुस्कराहट है लबों पर और खंजर दिल में है.!
हर किसी दर पे है सांकल और खिड़की बंद है
मेरे कर्फ्यू के शहर का, एक मंज़र दिल में है.!
नाउम्मीदी बन के मुखबिर बेबसी से जा मिली
बेकरारी का अनोखा सा,, बवंडर दिल में है....!
आईने को,, तोड़ने की,, साजिशें देखो ज़रा...
हाथ में हैं फूल कितने और पत्थर दिल में हैं.!
वक्त ने बेघर किया तो भी हमें परवाह क्या..
चाँद से भी खूबसूरत खुशनुमा घर दिल में है.!
मुझे इस उम्र में बच्चा,,, बना देता है वो बच्चा...........
बिना ही बात, रातों को, जगा देता है वो बच्चा,
मुझे कितने सवालों में,, फंसा देता है वो बच्चा|
कभी मुस्कान में उसकी,,,,, सवेरा ढूँढ लेता हूँ,
कभी रोकर मुझे भी तो, रुला देता है वो बच्चा|
मुझे मंदिर की,मस्जिद की ज़रूरत ही नहीं होती,
मुझे भगवान की मूरत,, दिखा देता है वो बच्चा|
मैं अपनी उम्र, अपनी उलझनों को भूल जाता हूँ,
मुझे इस उम्र में बच्चा,,, बना देता है वो बच्चा.|
कभी तनहाइयां होती हैं,,, तो मैं सोचता भी हूँ..,
मुझे पल में कभी मुझसे मिला देता है वो बच्चा|
मुझे कितने सवालों में,, फंसा देता है वो बच्चा|
कभी मुस्कान में उसकी,,,,, सवेरा ढूँढ लेता हूँ,
कभी रोकर मुझे भी तो, रुला देता है वो बच्चा|
मुझे मंदिर की,मस्जिद की ज़रूरत ही नहीं होती,
मुझे भगवान की मूरत,, दिखा देता है वो बच्चा|
मैं अपनी उम्र, अपनी उलझनों को भूल जाता हूँ,
मुझे इस उम्र में बच्चा,,, बना देता है वो बच्चा.|
कभी तनहाइयां होती हैं,,, तो मैं सोचता भी हूँ..,
मुझे पल में कभी मुझसे मिला देता है वो बच्चा|
बुधवार, 14 मार्च 2012
फिर से लेकिन वो मसीहा खो न जाये देखना..!
आज जो अपना है कल वो खो न जाये देखना,
जिसका डर है हादसा फिर हो न जाये देखना.!
हमने कुछ विश्वास के,,, पौधे लगाये थे जहां
कोई शंकाओं के कांटे,, बो न जाये देखना....!
आजकल तालाब क्या नदियाँ भी गन्दी हो गयीं
बादलों का जल भी मैला,,, हो न जाये देखना...!
हमने हँसते खेलते,,,,,, आंसू छुपाए हैं सदा
सोचकर इस दर्द को वो रो न जाये देखना...!!
इक सदी के बाद वो,, दीपक लिए लौटा तो है
फिर से लेकिन वो मसीहा खो न जाये देखना..!
शुक्रवार, 9 मार्च 2012
तू ने ये कैसा जादू है किया.................
बता दे मुझे तू ये ज़रा,
तुने ये कैसा जादू है किया,
न अपनी ही है कुछ खबर मुझे,
न तेरा ही है कुछ मुझे पता...!!
बता दे मुझे .......................
female voice.....
क्यों मुझको दी ये सज़ा..?
मेरी है क्या खता...?
कुछ तो कहो हमें,
ये तुमको क्या हुआ..??
male voice.....
मैं क्यों दीवाना हो गया बता
तुने ये कैसा जादू है किया..?
न अपनी ही है कुछ .........
न तेरा ही है....................
male voice......
ख़्वाबों मैं तुझे खोजते रहे,
हर लमहा तुझे सोचते रहे,
दिल मैं लिखा है नाम बस तेरा...
क्या जाने क्या नसीब मैं लिखा...
तू ने ये कैसा जादू है किया .......!!!
तुने ये कैसा जादू है किया,
न अपनी ही है कुछ खबर मुझे,
न तेरा ही है कुछ मुझे पता...!!
बता दे मुझे .......................
female voice.....
क्यों मुझको दी ये सज़ा..?
मेरी है क्या खता...?
कुछ तो कहो हमें,
ये तुमको क्या हुआ..??
male voice.....
मैं क्यों दीवाना हो गया बता
तुने ये कैसा जादू है किया..?
न अपनी ही है कुछ .........
न तेरा ही है....................
male voice......
ख़्वाबों मैं तुझे खोजते रहे,
हर लमहा तुझे सोचते रहे,
दिल मैं लिखा है नाम बस तेरा...
क्या जाने क्या नसीब मैं लिखा...
तू ने ये कैसा जादू है किया .......!!!
वो शख्स न मिला...........
ख्वाब में मिला,
जब भी मुझे मिला,
लेकिन मुझे कभी...
वो शख्स न मिला,,
ख्वाब में.............!!
तन्हाइयां मिलीं ,
रुसवाइयां मिलीं,
परछाइयां मिलीं,
वो शख्स ना मिला,
ख्वाब में.............!!
चेहरे बहुत मिले,
मुस्कान में खिले,
बरसों ये सिलसिले,
वो शख्स ना मिला,,
ख्वाब में.............!!
लंबी है ये डगर,
अनजान सा सफर,
क्यों ढूँढती नज़र,
वो शख्स ना मिला,,
ख्वाब में............!!
जब भी मुझे मिला,
लेकिन मुझे कभी...
वो शख्स न मिला,,
ख्वाब में.............!!
तन्हाइयां मिलीं ,
रुसवाइयां मिलीं,
परछाइयां मिलीं,
वो शख्स ना मिला,
ख्वाब में.............!!
चेहरे बहुत मिले,
मुस्कान में खिले,
बरसों ये सिलसिले,
वो शख्स ना मिला,,
ख्वाब में.............!!
लंबी है ये डगर,
अनजान सा सफर,
क्यों ढूँढती नज़र,
वो शख्स ना मिला,,
ख्वाब में............!!
मेरी कश्ती है तूफां में, मुझे कुछ डर नहीं होता
मेरी कश्ती है तूफां में, मुझे कुछ डर नहीं होता
ज़मीं मेरी फलक मेरा , कभी बेघर नहीं होता ,
सुबह से शाम हो जाये , कोई अंजाम हो जाए
मैं तेरा हूँ, तू मेरा है, ये चर्चा आम हो जाये ...
यही तो चाहता हूँ मैं, मगर अक्सर नहीं होता
मेरी कश्ती है तूफां में ...............................
बहारें दिल में होती हैं ,नज़ारे दिल में होते हैं ,
कहीं भी दूर हो गर तू ,सहारे दिल होते हैं ......
मैं तेरे साथ हूँ पल - पल कभी बेघर नहीं होता,
मेरी कश्ती है तूफां में .................................
कभी आंधी में तूफां में,कहीं घिरते हैं जब बादल
तुझे मैं ढूँढता हूँ,, सब मुझे कहते रहें पागल
मेरी आखों से फिर भी दूर वो मंज़र नहीं होता...
मेरी कश्ती है तूफां में....................
ज़मीं मेरी फलक मेरा , कभी बेघर नहीं होता ,
सुबह से शाम हो जाये , कोई अंजाम हो जाए
मैं तेरा हूँ, तू मेरा है, ये चर्चा आम हो जाये ...
यही तो चाहता हूँ मैं, मगर अक्सर नहीं होता
मेरी कश्ती है तूफां में ...............................
बहारें दिल में होती हैं ,नज़ारे दिल में होते हैं ,
कहीं भी दूर हो गर तू ,सहारे दिल होते हैं ......
मैं तेरे साथ हूँ पल - पल कभी बेघर नहीं होता,
मेरी कश्ती है तूफां में .................................
कभी आंधी में तूफां में,कहीं घिरते हैं जब बादल
तुझे मैं ढूँढता हूँ,, सब मुझे कहते रहें पागल
मेरी आखों से फिर भी दूर वो मंज़र नहीं होता...
मेरी कश्ती है तूफां में....................
रविवार, 5 फ़रवरी 2012
हो सके तो लौट चलें.................
जीवन में एक लंबे अरसे तक आगे बढ़ने,
... और आगे बढ़ने की अनवरत प्रक्रिया में,
उम्र के मध्यान के बाद.....
जब पश्चिम दिशा में,
सूर्यास्त के क्षितिज की..
धुँधली सी तस्वीर नज़र आने लगती है..
तो मन कहता है कि ये समय का रथ यहीं कहीं रुक जाए.......
और हो सके तो लौट चलें फिर से,
पूर्व दिशा की ओर, जहां से ये यात्रा शुरू की थी....!!!!
कई चेहरे यहाँ पर इश्तेहारों में छपे होंगे.......!!
कई चेहरे यहाँ पर,, इश्तेहारों में,, छपे होंगे.......!!
मगर कुछ नाम है जो दिल के कागज पर लिखे होंगे
कहीं पर धूप भी होगी,,, कहीं बादल भी छाएंगे ...
सफर में हैं तो अपने दरमियाँ, ये सिलसिले होंगे..
कभी काँटों से बचते हैं,, कभी फूलों से मिलते हैं...
कहीं है कांच के टुकड़े,,,,, कहीं पर आईने होंगे ..
मुझे तनहाइयों ने इस कदर अपना बनाया है..
बहुत से दोस्त हमको बेवफा भी कह रहे होंगे ..
बड़ी उम्मीद उनकी मुस्कराहट ने हमें दे दी..
मगर मालूम क्या था वो भी पत्थर के बने होंगे..
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