बिना ही बात, रातों को, जगा देता है वो बच्चा,
मुझे कितने सवालों में,, फंसा देता है वो बच्चा|
कभी मुस्कान में उसकी,,,,, सवेरा ढूँढ लेता हूँ,
कभी रोकर मुझे भी तो, रुला देता है वो बच्चा|
मुझे मंदिर की,मस्जिद की ज़रूरत ही नहीं होती,
मुझे भगवान की मूरत,, दिखा देता है वो बच्चा|
मैं अपनी उम्र, अपनी उलझनों को भूल जाता हूँ,
मुझे इस उम्र में बच्चा,,, बना देता है वो बच्चा.|
कभी तनहाइयां होती हैं,,, तो मैं सोचता भी हूँ..,
मुझे पल में कभी मुझसे मिला देता है वो बच्चा|
मुझे कितने सवालों में,, फंसा देता है वो बच्चा|
कभी मुस्कान में उसकी,,,,, सवेरा ढूँढ लेता हूँ,
कभी रोकर मुझे भी तो, रुला देता है वो बच्चा|
मुझे मंदिर की,मस्जिद की ज़रूरत ही नहीं होती,
मुझे भगवान की मूरत,, दिखा देता है वो बच्चा|
मैं अपनी उम्र, अपनी उलझनों को भूल जाता हूँ,
मुझे इस उम्र में बच्चा,,, बना देता है वो बच्चा.|
कभी तनहाइयां होती हैं,,, तो मैं सोचता भी हूँ..,
मुझे पल में कभी मुझसे मिला देता है वो बच्चा|
सुन्दर -' बिना बात, रातों को जगा देता हैं, वो बच्चा '
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद प्रतिभा जी....!!
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